सब धरती कागज करूं, लिखनी सब बन राय। सात समुद्र की मसि करूं, गुरु गुण लिखा न जाया॥sab dharatee kaagaj karoon, likhanee sab ban raay. saat samudr kee masi karoon, guru gun likha na jaaya.
सब धरती कागज करूं, लिखनी सब बन राय।
सात समुद्र की मसि करूं, गुरु गुण लिखा न जाया॥
हिंदी अनुवाद:- पृथ्वी को कागज करूं, सब जंगल को कलम, सातों समुद्रों को स्याही बनाकर लिखने पर भी गुरु के गुण को नहीं लिखा जा सकता।
कठिन शब्दार्थ
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भावार्थ :- ध्यान का मूल गुरु का ही रूप है, पूजा का मूल रूप गुरु चरणों की आराधना है। मूल नाम गुरु के ही वचन हैं, मूल सत्य के साक्षात्कार के लिए सत्य की जिज्ञासा ही मूल है।
गुरु के सम्मान में दोहे
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