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Sunday, January 27, 2019

जब दशक अंक 0 अथवा 1 हो तो अन्तिम प्रभावी दशक के लिये अंक 1 का प्रयोग होगा।

जब दशक अंक 0 अथवा 1 हो तो अन्तिम प्रभावी दशक के लिये अंक 1 का प्रयोग होगा।



इसके लिए उन्होंने अन्तिम प्रभावी दशक की अभिधारणा को जन्म दिया अर्थात् इस अभिधारणा के अनुसार एक शताब्दी को दस भागों में विभाजित करने के स्थान पर पांच भागों में विभाजित किया जाता है। इस प्रकार प्रत्येक अन्तिम प्रभावी दशक 20 वर्षों की अवधि का सूचक होता है। दूसरे शब्दों में किसी शताब्दी के दूसरे, चौथे, छठवें, आठवें तथा दसवें दशकों को क्रमशः 1,3,5,7,9 अंकों द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। ये ही प्रभावी दशक के लिये प्रयुक्त होने वाले अंक हैं । पद्धति के नियम भाग में दी गई नियम संख्या 311 व 312 इन दशकों के प्रायोगिक प्रयोग को स्पष्ट करती है। इन नियमों के अनुसार

जब दशक अंक 6 अथवा 7 हो तो अन्तिम प्रभावी दशक के लिये अंक 7 का प्रयोग होगा।
जब दशक अंक 8 अथवा 9 हो तो अन्तिम प्रभावी दशक के लिये अंक 9 का प्रयोग होगा। उदाहरणार्थ -
उक्त नियम के अनुसार यदि 21वी शताब्दी को अन्तिम प्रभावी दशकों में परिवर्तित करना हो तो उसके दशाब्दी अंक निम्नलिखित प्रकार बनेंगे
2000 से 2019 तक के लिये P1 2020 से 2039 तक के लिये P3 2040 से 2059 तक के लिये P5 2060 से 2079 तक के लिये P7 2080 से 2099 तक के लिये P9
इसी प्रकार निम्नलिखित वर्षों के लिये अन्तिम प्रभावी दशक के सूचक अंक निम्नलिखित प्रकार बनेंगे
1900 के लिये N1 1942 के लिये
N5 1979 के लिये 2020 के लिये
P3 2069 के लिये
P7 2080 के लिये

जब दशक अंक 2 अथवा 3 हो तो अन्तिम प्रभावी दशक के लिये अंक 3 का प्रयोग होगा।

P9 अन्तिम प्रभावी दशक के रूप में काल एकलों को प्राप्त करने संबंधी निर्देश अनुसूची में तथा नियम भाग में जहां दिये गये है, वहां उन निर्देशों का पालन करते हुए वर्गीक निर्मित करने चाहिये। ऐसे निर्देश अनेक पूर्ववर्ती सामान्य एकलों (ACI) जैसे a=Bibliography, v=History, W= History, W=Biography इत्यादि के लिये दिये गये है। इसके अतिरिक्त अनेक विषयों में जहां विषय का अध्ययन एक निश्चित अवधि को दर्शाता हो वहां भी काल पक्ष का प्रयोग अन्तिम प्रभावी दशक के रूप में किया जाना चाहिए। जैसे
N8
129
________________________________________
V1N45-N3
Indian History period covered upto 1900 v44'N1 British economy upto 1999
X.56'N9 3.4 परिसीमित समय अवधि (uration of TimeBounded D)
जब किसी विषय के अध्ययन का काल, उसके प्रारंभ होने के काल से लेकर समाप्त होने तक काल के रूप में दिया गया हो तो काल संबंधी वर्गीक बनाते समय, अन्तिम वर्ष को पहले और प्रारंभिक वर्ष को बाद में दिया जाता है। दोनों समय अवधि को प्रतीक चिन्ह पश्चमुखी तीर (-)द्वारा जोड़ा जाता है ।। उदाहरणार्थ -
Medieval history of India (1556 to 1605) V44'K05-J56
उपर्युक्त उदाहरण में अन्तिम समय (1605) को पहले तथा प्रारंभिक समय (1556) को बाद में दिया गया है। इसी प्रकार History of World War || 1939-1945 Development of Public Libraries in Europe from 1810 to 1900
22.5'N00-M10

 3.5 भूतकाल एवं भविष्य काल

जब किसी विषय का अध्ययन, बीते हुये समय को दर्शाने के अर्थ में किया जाता है, तो उसके लिये काल की प्रतीक एकल संख्या के बाद पश्चमुखी तीर (-) लगाया जाता है । वर्गीक में पश्चमुखी तीर का प्रयोग जिस काल एकल के साथ किया जाता है उसका अभिप्राय उस काल से पूर्व के काल को दर्शाना होता है ।। उदाहरणार्थ -
Indian History before 1947 V44'N47+
उपर्युक्त उदाहरण में 1947 से पूर्व का समय दर्शाने के लिये पश्चमुखी तीर का प्रयोग किया गया है। भावी समय को दर्शाने के लिये काल की प्रतीक संख्या के साथ अग्रमुखी तीर (2) का चिन्ह लगाया जाता है। उदाहरणार्थ -
Future of Library Science in India Public library movement in Great Britian after 1850 22.56'M50→
उपर्युक्त उदाहरणों में भावी समय को दर्शाने के लिये, काल की एकल संख्याओं के बाद अग्रमुखी तीर का प्रयोग किया गया है। 3.6 भूवैज्ञानिक काल
भूवैज्ञानिक विकास व परिवर्तनों की प्रक्रिया इतनी धीमी होती है कि समय की सामान्य इकाईयां (वर्ष, शताब्दी, दशाब्दी तथा सहस्त्राब्दि) इन्हें मापने में असहायक सिद्ध हुई हैं। इसलिये
विबिन्दु वर्गीकरण पद्धति में 9999 BC से पूर्व के लिये A1= Eozoic, A2= Paleozoic इत्यादि विशिष्ट कालसूचक एकलों का प्रावधान किया गया है। मुख्य वर्ग H Geology (भूविज्ञान) में प्रामाणिक वर्ग H5 Stratigraphy (स्तरित शैल विज्ञान) के अन्तर्गत इस प्रकार
130
2.44'P→
के कालों का विस्तार से उल्लेख किया गया है। साथ ही इसके लिये नियम H68u (पृष्ठ 1.80) के अन्तर्गत परम्परागत वर्ग H6 Paleontology (जीवाश्म विज्ञान) के लिये विशिष्ट काल निर्मित करने संबंधी नियमों का प्रावधान क्रिया गया है। दिये गये नियम के अनुसार अनुसूची में जिन काल एकलों का उल्लेख है, उनमें H5 के स्थान पर अंक A का प्रयोग करने के निर्देश हैं। अर्थात इस प्रामाणिक वर्ग के लिये काल एकलों का निर्माण करते समय इस नियम को दृष्टिगत रखना होगा। उदाहरणार्थ -

जब दशक अंक 4 अथवा 5 हो तो अन्तिम प्रभावी दशक के लिये अंक 5 का प्रयोग होगा।

अनुसूची में H526= Permian दिया गया है, किन्तु जब इस काल का प्रयोग H6 जीवाश्म विज्ञान के लिये किया जाये तो उपरोक्त वर्णित नियम के अनुसार काल एकल निर्मित करना होगा। अर्थात् H5=A है तो H526= A26 होगा। इसलिये उक्त नियमानुसार
Permain bird fossils का वर्गीक H696.1'A26 बनेगा। इसी प्रकार
Meozoic fish fossils का वर्गीक H692.1'A3 बनेगा।
यहां Meozoic काल के लिये अनुसूची में H53 दिया गया है। किन्तु नियमानुसार H5=A होने के कारण उपर्युक्त उदाहरण में Meozoic काल के लिये, काल एकल के रूप में A3 का ही प्रयोग किया गया है। 4. कालपक्ष का कालक्रम विधि के रूप में प्रायोगिक उपयोग।
कालपक्ष अनेक बार विशेषता दर्शाने वाले गुण के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। ऐसा तब होता है जब किसी वस्तु सत्व, या सत्ता को व्यक्तित्व प्रदान करने की आवश्यकता होती है।
विबिन्दु वर्गीकरण पद्धति में कालक्रम विधि (CD) के द्वारा अनेक मुख्य वर्गों में व्यक्तित्व पक्ष के एकलों को विशिष्टता प्रदान की गई है।
मुख्य वर्ग 0 Literature (साहित्य) में लेखक के जन्म वर्ष के आधार पर लेखक अंक (Author Number) बनाने में कालक्रम विधि का प्रयोग किया गया है। उदाहरणार्थ - Wiliam Shakespeare (born in 1564 A.D.)
0111, 2J64 उपर्युक्त उदाहरण में शेक्सपीयर के जन्मवर्ष 1564 के आधार पर कालक्रम विधि द्वारा लेखक अंक J64 निर्मित किया गया है।
। मुख्य वर्ग V History (इतिहास) में विभिन्न प्रकार के राजनीतिक दलों के वर्गीक इस विधि द्वारा उनके स्थापना वर्ष के आधार पर निर्मित करने के निर्देश हैं। उदाहरणार्थ -
Indian National Congress (founded in 1885) V44, 4M85

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