नकलंग मंदिर जोधावास | nakalang mandir jodhaavaas
नकलंग देव मंदिर का इतिहास
ऑंजणा कलबियों के सन्त शिरोमणि श्री राजारामजी महाराज की जीवनी संत श्री राजेश्वर भगवान की जीवनी – राजाराम जी महाराज का जन्म :- श्री 1008 श्री राजारामजी महाराज का जन्म विक्रम संवत 1939 को मिति चैत्र शुक्ल नवमी को मोती बाई की कोख से हुआ था। राजाराम जी के माता पिता:- पिताजी :- श्री हरींगाराम जीमाताजी … Read more
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कलबी समाज का इतिहास |
“कलबी” एक व्यवसायिक आस्पद है। यह कुळबी शब्द का अपभ्रंश हैं। इसका लम्बा इतिहास है। ताम्र युग के पश्चात त्रेता युग तक भारत के उत्तरी खण्ड में कई वर्षों तक शान्ति बनी रही।
त्रेता युग में भारत के आर्यों को लंका के अनार्यो के साथ युद्ध करना पड़ा था जिसका विवरण रामायण में मिलता है । त्रे युग के लगभग 500 वर्षो पश्चात द्वापर युग में आर्यों के आपस में महाभारत हुआ था जिसका विवरण महाभारत में मिलता है उस महाभारत में विश्व के सभी अन्य देशों के राजाओं ने भाग लिया था जिसका पता महाकाव्य ‘महाभारत’ मैं सीथियनों, यूनानियों, बैक्ट्रियनों और हूंणों के उल्लेख से लगता है। द्वापर युग के पश्चात लगभग 400 से 500 वर्षों तक फिर शांति का युग रहा। इस शांति युग में भारत के चंद्रवंशी, सूर्यवंशी, हैह्मवंशी,यदुवंशी नागवंशी व अन्य आर्य क्षत्रियों ने सिंधुघाटी उसके आसपास के उपजाऊ प्रदेशों में कृषि कर्म कर समृद्धि प्राप्त की। आर्य क्षत्रियों द्वारा उक्त प्रकार कृषि कर्म करने के कारण उनको “कृषक-क्षत्रियों” की संज्ञा से जाना जाने लगा।
“कृषक-क्षत्रियों” का यह नाम जनपद युग (विक्रम संवत से लगभग 1000 से 700 वर्ष पूर्व) तक बना रहा । जनपद युग में उनका “कृृषक-क्षत्रिय” की बजाए हल से काम करने के कारण “हली” क्षत्रिय कहां जाने लगा।
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कलबी समाज समाज के महान संत राजारामजी महाराज |
हली क्षत्रिय कहलाने के दौरान जब विक्रम संवत के 503 वर्ष पूर्व भारत पर इरानी व फारसी आक्रमण हुए तब फारसी भाषा के कुछ शब्द भारतीय भाषाओं ने ग्रहण कर लिए और कुछ भारतीय भाषाओं के शब्द फारसी भाषा ने अपना लिये । उन शब्दों में से एक फारसी भाषा का शब्द “कुळबा“ भी है जिसका पर्याय भारतीय भाषा में ‘हल’ होता है यानी खेती करने के जिस उपकरण को भारत की भाषा में “हल“ कहा जाता हैं। उनको फारसी भाषा में “कुकबा“ कहा जाता है । जिस प्रकार भारतीय भाषाओं में “हल“ से काम करने वाले को “हली” कहा जाता है उसी प्रकार फारसी भाषा में “कुळबा“ से काम करने वालों को “कुळबी“ कहा जाता हैं। जनपद युग में जिस समय भारतीय भाषा में “हल” से काम करने वालों को “हली” का जाता था पर जब भारतीय भाषा पर फारसी भाषा का प्रभाव अधिक बढ़ गया तब लोग “हल” से काम करने वाले को “हली” कहने की बजाय फारसी भाषा के प्रभाव से “कुळबी” कहना आरंभ कर दिया उक्त प्रकार जनपद युग में “कुलबी“ व्यवसायिक शब्द की उत्पत्ति हो गई जो आगे चलकर वर्तमान तक पहुंचते-पहुंचते “कुलबी“ जातिवाचक शब्द बनकर रह गया ।
आगे चलकर कलबी जाति मे हुंणो का सम्मेलन हो गया जिससे कलबी जाति अनेक खण्डों में विभाजन हो गई । इनकी प्रमुख अलग अलग शाखाएं हैं। जिनमें से मख्यत: ऑंजणा कलबी समाज जो वर्तमान में लोकप्रिय सुप्रसिद्ध जाति है इसके बारे में जानने के लिए ऑंजणा शब्द का अर्थ पर क्लिंक करें
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ऑंजणा कलबियों के सन्त शिरोमणि श्री राजारामजी का इतिहास। कलबी समाज के आराध्य देव श्री राजारामजी का इतिहास बहुत पुराना नहीं है इस पोस्ट में राजारामजी कौन थे? उनका मानव कल्याण एवं समाज सुधार में दिया अभुतपूर्व योगदान और लोकदेवता कहलाने के पीछे का इतिहास जानने के लिए बनें रहिए, पोस्ट राजारामजी का इतिहास के अंत तक। … Read more
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भीनमाल जिला (जालोर विभाग) शाखा-पुस्तिका | shaakha-pustika राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भीनमाल जिला (जालोर विभाग) दिशा कल्प – पौष-माघ मास 1. प्राथमिक शिक्षा वर्ग कर लौटे स्वयंसेवकों को दायित्व देकर नई शाखाएँ आरम्भ हो सके तथा बन्द शाखा को गति मिल सके ऐसी योजना बनानी । 2. जनवरी प्रथम सप्ताह में उपखण्ड अभ्यास … Read more
ऑंजणा शब्द का अर्थ ऑंजणा का शाब्दिक अर्थ :- ऑंजणा = अजाण्यु शब्द से बना है अजाण्यु = अ + जानों अर्थात् अनजाना| प्राय: ऑंजणा एक भौगोलिक जाति वाचक संज्ञा है जो गुजराती भाषा के अजाण्यु शब्द का अपभ्रंश हैं। गुजराती भाषा में अजाण्यु का अर्थ अ+जानो अर्थात जो जाना न जाता हो अथवा अनजाना … Read more